विमान हादसा: अपनी सेना पर भड़के ईरानी नागरिक, कहा- दोषियों को सजा दें, यूक्रेन ने मांगा हर्जाना
ईरानी सेना द्वारा शनिवार को यूक्रेन के यात्री विमान को गलती से अपनी मिसाइल का निशाना बनाने की बात स्वीकारने पर ईरानी नागरिक ही भड़क गए हैं। उन्होंने सेना के महज माफी मांगने को पर्याप्त नहीं मानते हुए दोषियों को कड़ी सजा दिए जाने की मांग की है।
बहुत सारे ईरानी नागरिकों ने सोशल मीडिया पर भी अधिकारियों के इस्तीफे मांगते हुए उनकी माफी को खारिज करने वाली पोस्ट लिखी हैं। बता दें कि इस हादसे में क्रू सदस्यों समेत सभी 176 लोग मारे गए थे, जिनमें से ईरान के 82, कनाडा के 63, यूक्रेन के 11, स्वीडन के 10, अफगानिस्तान के चार और ब्रिटेन व जर्मनी के 3-3 नागरिक शामिल थे।
ईरान की अर्द्धसरकारी समाचार एजेंसी इलना के मुताबिक, बहुत सारे ईरानियों ने सवाल उठाया है कि मिसाइल हमले के बाद प्रतिक्रिया को लेकर हाई अलर्ट पर होने के बावजूद सरकार ने देश के एयरस्पेस और तेहरान एयरपोर्ट को बंद क्यों नहीं किया था? एक उदारवादी धार्मिक नेता अली अंसारी ने ईरानी सेना की स्वीकारोक्ति को राष्ट्रीय त्रासदी बताया है।
अंसारी ने कहा, सरकार ने जिस तरह इस पूरे मामले को संभाला और अपनी गलती मानी, यह और ज्यादा त्रासदीपूर्ण है। तेहरान निवासी मीरा सेदाघाटी ने कहा, वे सुलेमानी के बदला में किसी अमेरिकी को नहीं मारने के लिए तो पूरी तरह सचेत थे, लेकिन उन्होंने अपना एयरपोर्ट बंद नहीं कराया? यह दिखाता है कि वर्तमान सत्ता ईरानियों की कितनी परवाह करती है।
ईरानी नागरिकों ने अपनी सेना की तरफ से यात्री विमान पर हमले को मानवीय भूल और अनजाने में निशाना बनाने के बयान पर भी सवाल उठाए। तबरीज शहर के रेजा घादयानी ने कहा, अनजाने में? इसका क्या मतलब है? आपने (सरकार ने) महज सुलेमानी के प्रति शोक जताने के लिए इस बड़ी त्रासद खबर को कई दिन तक छिपा दिया।
आपको शर्म आनी चाहिए। अहमद बातेबी ने ट्विटर पर राष्ट्रपति हसन रूहानी के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, आपने ईरानियों से अपना बदला ले लिया। इस्लामी गणतंत्र ईरान इस विनाशकारी गलती पर खेद जताता है।
यूक्रेन ने मांगा हर्जाना, कनाडा ने की न्याय की मांग
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा, ईरान ने भले ही हमारे विमान को मार गिराने का अपराध कबूल कर लिया है लेकिन हम चाहते हैं कि ईरान इस मामले में अपना पूरा जुर्म स्वीकार करे। हम चाहते हैं कि ईरान पूरी और निष्पक्ष जांच करे और मृतकों के शव हमें लौटाए। यही नहीं बल्कि राजनयिक चैनल के जरिए माफी मांगते हुए ईरान हर्जाने का भुगतान भी करे।
शत्रु का विमान समझ बैठा था ईरान
1988 में अमेरिका ने गिरा दिया था ईरानी विमान
उस हादसे में भी विमान में सवार सभी 290 लोग मारे गए थे। तब वाशिंगटन ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना करार दिया था, जबकि ईरान ने इसे अमेरिकी सेना की जानबूझकर की गई कार्रवाई बताया था।
विशेषज्ञों ने उठाए ईरान के बयान पर सवाल
अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के पूर्व जांच अधिकारी एंथोनी ब्रिकहाउस ने कहा, ऐसा कुछ नहीं है, जिसे छिपाने के लिए आप कुछ कर सकते हैं। सबूत आखिर सबूत होता है। पूर्व यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेटर माइक डेनियल ने भी कहा कि सबूतों की बढ़ती संख्या ने यह अपरिहार्य कर दिया था कि ईरान को अपना दोष कबूल करना पड़ा।