कोलकाता। बंगाल में चार विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में सभी सीटों पर शानदार जीत के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने एक बार फिर इशारों-इशारों में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए संदेश दिया है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य व राष्ट्रीय प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि अब नजरिया बदलने की जरूरत है। एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में तृणमूल नेता ने कहा कि अब नजरिया बदलना होगा। विपक्ष में हम सभी लोग बराबर के हकदार हैं। हमें कम आंकने की जगह इस पर एकजुट होकर काम करते हैं। आपस में लड़ने की जरूरत नहीं है। हमारा एकमात्र लक्ष्य भाजपा को हराना है।

वहीं, डेरेक ने एक ट्वीट में कहा कि उपचुनाव में चार में से भाजपा के तीन उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। बता दें कि चारों सीटों पर कब्जा जमाने के साथ तृणमूल ने इनमें से दो सीटों पर तो रिकार्ड अंतर से जीत दर्ज की है।उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन इस बार बेहद ही निराशाजनक रहा। दिनहाटा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार उदयन गुहा ने भाजपा प्रत्याशी अशोक मंडल को 1,64,089 वोटों के बड़े के अंतर से हराया, जो बंगाल चुनाव के इतिहास में सबसे अधिक है। गुहा को 1,89,575 वोट मिले, जबकि मंडल को केवल 25,486 वोट ही मिले।

इसी तरह दक्षिण 24 परगना जिले के गोसाबा सीट पर तृणमूल उम्मीदवार सुब्रत मंडल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी – भाजपा के पलाश राणा को 1,43,051 मतों के अंतर से हराया। मंडल को 1,61,474 मत मिले जबकि राणा को 18,423 मत ही मिले। इसके अलावा खड़दह सीट पर राज्य के मंत्री शोवनदेब चट्टोपाध्याय ने भाजपा उम्मीदवार जाय साहा को 93,832 मतों से हरा दिया। इसी तरह शांतिपुर सीट पर टीएमसी के ब्रजकिशोर गोस्वामी ने 1,12,087 वोट हासिल करके 64,675 के अंतर से जीत हासिल की। सिर्फ इसी सीट पर भाजपा उम्मीदवार निरंजन विश्वास ने 47,412 वोट हासिल करने में सफल रहे और उन्होंने अपनी जमानत राशि बचा ली।

नेतृत्व को लेकर कांग्रेस व तृणमूल में खींचतान जारी

बता दें विपक्षी दलों का नेतृत्व करने को लेकर इन दिनों कांग्रेस व तृणमूल के बीच खींचतान जारी है। बंगाल चुनाव में प्रचंड जीत के बाद से तृणमूल लगातार दूसरे राज्यों में पार्टी के विस्तार में जुटी है। इधर, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेगासस जासूसी मामला, किसानों समेत कई मुद्दों पर कांग्रेस, तृणमूल समेत तमाम पार्टियां एकजुट दिखाई दीं लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने संसद से इतर आगे की रणनीति बनाने के लिए चाय पार्टी का जब आयोजन किया तो तृणमूल के मुख्य चेहरे नदारद रहे।

दरअसल, कांग्रेस राहुल गांधी को विपक्ष के चेहरे के तौर पर पेश करना चाहती है लेकिन तृणमूल ने तो अपनी नेता ममता बनर्जी को ही विपक्ष का चेहरा मान लिया है। तभी तो सांसद नहीं होने के बावजूद तृणमूल ने उन्हें संसदीय दल का नेता चुना हुआ है।