उपद्रव के बाद किसान आंदोलन से नेता गायब, अब आगे क्या?

[दिग्विजय] उपद्रवी किसानों के मचाए तांडव ने किसान नेताओं को भी मुंह के बल ला दिया। जो अपनी मांगों के लिए सरकार के सामने दो महीनों से दहाड़ रहे थे, वो उपद्रव के बाद खुद को पल्ला झाड़ने में जुटे हैं। कहा जा रहा है कि दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर से बड़े-बड़े किसान नेता रातों रात गायब हो चुके हैं।
उधर, दिल्ली पुलिस उपद्रव को लेकर 15 एफआईआर दर्ज कर चुकी है। कहा जा रहा है कि छानबीन के बाद कुछ और एफआईआर दर्ज की जा सकती है। कहा यह भी जा रहा है कि सरकार अब किसान संगठनों के साथ भी सख्ती से निपटने के मूड में आ गई है। उसने पहले ही साफ कर दिया था कि कृषि कानून वापस नहीं लिए जा सकते। हालांकि, उसने डेढ़ साल तक तीनों कृषि कानूनों को निलंबित रखने का ऑफर जरूर दिया था।
सूत्रों की मानें तो सरकार इस ऑफर को भी वापस ले सकती है। उधर, सूत्र यह भी बता रहे हैं कि किसान संगठन अब भी अपने कदम वापस लेने को राजी नहीं हैं। उनकी प्लानिंग आंदोलन को देशव्यापी बनाने की है। वहीं, एक बड़े वर्ग को लगता है कि उपद्रव ने किसान आंदोलन की आत्मा पर प्रहार किया और अब यह आगे नहीं चल पाएगा। बहरहाल, दो महीनों से चला आ रहा किसान आंदोलन का विस्तार होगा या उपद्रव की आग में जल्द ही खाक हो जाएगा, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। लेकिन दिल्ली में हुए तांडव ने यह तो तय कर दिया है कि यह शुद्ध किसान आंदोलन नहीं है। इस आदोंलन में देश विरोधी ताकतों की संलिप्तता की आशंका पुष्ट हो रही है।
हालाँकि सरकार के पास पहले दिन से ही इस आंदोलन में विदेशी ताकतों की संलिप्तता के इनपुट थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के चलते सरकार इस आनंदोलन पर सख्ती करने से परहेज कर रही थी लेकिन गणतंत्र दिवस पर हुए उपद्रव ने सरकार की बाध्यताओ को लगभग समाप्त कर दिया है। अब इस आंदोलन में सुप्रीम कोर्ट भी अनावश्यक दखलंदाजी से बाज आएगा जिससे सरकार का पक्ष ही मजबूत होगा।