हरियाणा चुनाव में हार के बाद मायावती का बड़ा फैसला, अब क्षेत्रीय दलों से नहीं होगा गठबंधन

हरियाणा चुनाव में हार के बाद मायावती का बड़ा फैसला, अब क्षेत्रीय दलों से नहीं होगा गठबंधन

हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को एक भी सीट पर सफलता नहीं मिल पाई, जिसके बाद बीएसपी प्रमुख मायावती ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। मायावती ने घोषणा की है कि अब उनकी पार्टी किसी भी राज्य में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन नहीं करेगी। यह फैसला उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर साझा किया है।

क्षेत्रीय दलों से गठबंधन खत्म

मायावती ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, “उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के चुनावों में बीएसपी का वोट गठबंधन की पार्टियों को ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन दूसरी पार्टियों का वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं हो पाता। इसके परिणामस्वरूप अपेक्षित चुनावी नतीजे नहीं मिलते, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं को निराशा होती है। इसके चलते बीएसपी ने अब क्षेत्रीय दलों के साथ भी गठबंधन न करने का निर्णय लिया है।”

हरियाणा और पंजाब चुनाव से लिया सबक

मायावती ने हरियाणा विधानसभा चुनाव और इससे पहले के पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि इन परिणामों ने बीएसपी को यह निर्णय लेने पर मजबूर किया। उन्होंने हरियाणा और पंजाब की समीक्षा बैठक के दौरान यह घोषणा की कि पार्टी अब क्षेत्रीय दलों से कोई गठबंधन नहीं करेगी। हालांकि, भाजपा/एनडीए और कांग्रेस/इंडिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह बनी रहेगी।

स्वार्थी नेताओं पर निशाना

मायावती ने अपने बयान में अन्य राजनीतिक दलों और उनके नेताओं पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बीएसपी एकमात्र अम्बेडकरवादी पार्टी है, जो अपने आत्म-सम्मान और स्वाभिमान आंदोलन को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “कुछ जातिवादी और स्वार्थी नेता बीएसपी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बहुजन समाज को संगठित होकर अपनी राजनीतिक शक्ति बनाने की जरूरत है। इस आंदोलन को किसी अन्य दिशा में भटकाना हानिकारक साबित होगा।”

पहले भी जातिवादी राजनीति पर किया था प्रहार

हरियाणा चुनाव के बाद मायावती ने पहले भी जातिवादी राजनीति पर प्रहार किया था। उन्होंने कहा था कि बीएसपी और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के गठबंधन के बावजूद जाट समाज के जातिवादी लोगों ने बीएसपी को वोट नहीं दिया, जिससे पार्टी के उम्मीदवार कुछ सीटों पर थोड़े वोटों से हार गए। हालांकि, बीएसपी का पूरा वोट इनेलो को ट्रांसफर हुआ।

मायावती के इस फैसले के बाद बीएसपी के भविष्य की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि अब पार्टी अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।


विडियों समाचार