महाराष्ट्र में PMC के बाद एक और बड़ा घोटाला! लोगों के करोड़ों रुपये डूबने की आशंका
हाइलाइट्स
- पीएमसी बैंक घोटाले के बाद महाराष्ट्र में एक और बड़े घोटाले का अंदेशा
- लोगों के करोड़ों रुपये एक जूलरी स्टोर द्वारा चलाई जा रही दो स्कीमों में फंस
- जूलरी स्टोर का मालिक पिछले चार दिनों से फरार, पुलिस कर रही तलाश
- पुलिस ने डोंबिवली इलाके में स्थित जूलरी स्टोर को सील किया
कल्याण
पंजाब ऐंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक घोटाले के बाद महाराष्ट्र में एक और बड़े घोटाले का अंदेशा जताया जा रहा है। प्रदेश में एक जूलरी स्टोर के बंद होने के बाद हजारों लोगों की हालत खराब है। दरअसल, इन लोगों ने इस स्टोर की दो स्कीमों में भारी-भरकम निवेश कर रखे हैं, लेकिन स्टोर के मालिक पिछले चार दिनों से अपनी दुकानें बंद कर फरार हैं। जब पुलिस जूलरी स्टोर गुडविन स्टोर्स के मालिकों सुनील कुमार तथा सुधीश कुमार के डोंबिवली स्थित आवास पर पहुंची तो उसे बंद पाया, जिसके बाद इसी इलाके में स्थित उनके शोरूम को सील कर दिया।
सुनील तथा सुधीश केरल के रहने वाले हैं और मुंबई तथा पुणे में उनके कम से कम 13 आउटलेट हैं। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी गुडविन ग्रुप की वेबसाइट के मुताबिक सुनील कुमार कंपनी के चेयरमैन हैं, जबकि सुधीश कुमार प्रबंध निदेशक हैं।
करोड़ों का हुआ है निवेश
लोगों का दावा है कि उन्होंने गुडविन की स्कीमों में 2,000 रुपये से लेकर 50 लाख रुपये से ऊपर का निवेश कर रखा है। लेकिन पुलिस का मानना है कि यह रकम करोड़ों में हो सकती है। रामनगर पुलिस थाने के सीनियर इंस्पेक्टर एसपी अहेर ने बताया, ‘हमने स्टोर्स के मालिकों और उनके एरिया मैनेजर मनीष कुंडी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है और इसकी जांच की जा रही है।’ उन्होंने कहा कि अब तक केवल डोंबिवली के लगभग 250 लोगों ने उनसे संपर्क किया है और जमा हुई कुल रकम का पता लगाने के लिए उनके बयान दर्ज किए गए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने जब उनसे संपर्क करने की कोशिश की तो उनका मोबाइल फोन स्वीच्ड ऑफ मिला।
वॉइस मैसेज में कहा सुरक्षित है निवेश
गुडविन जूलर्स के मालिक सुनील तथा सुधीश पिछले 22 वर्षों से जूलरी के कारोबार में हैं। माना जा रहा है कि एक वॉइस मैसेज में चेयरमैन ने निवेशकों से कहा है कि उनका निवेश सुरक्षित है और उन्हें उनकी रकम वापस मिल जाएगी। मैसेज में कहा गया है, ‘जो कुछ भी हुआ है, वह तीन साल पहले शुरू हुए एक मिस कैंपेन का नतीजा है, जब हमारी फैमिली संकट में फंसी। कारोबार प्रभावित हुआ, लेकिन हम इससे निपटने के लिए नए आइडिया पर काम कर रहे हैं।’
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निवेश जुटाने के लिए तिकड़मों का सहारा
निवेशकों का दावा है कि डोंबिवली ऑफिस 21 अक्टूबर को बंद किया गया और जब उन्होंने फोन पर स्टोर के कर्मचारियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि स्टोर दो दिन के लिए बंद रहेगा। लेकिन दुकान दिवाली पर भी बंद रही, जिसके कारण चिंता बढ़ी। संदेश मुदलियार नाम के एक निवेशक ने कहा, ‘निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्टोर के मालिक दोनों भाइयों ने बॉलीवुड और केरल फिल्म इंडस्ट्री से सिलेब्रिटीज को बुलाया था।’
जमा लाने के लिए एजेंट्स की नियुक्ति
कंपनी ने जमा लाने के लिए कमिशन आधार पर एजेंट्स की नियुक्ति कर रखी थी। एक अन्य निवेशक ने कहा कि वह और उनके भाई ने कंपनी में इसलिए एक लाख रुपये निवेश किया, क्योंकि इससे एजेंट की आजीविका चलती थी। उन्होंने कहा, ‘हमारे पिता ने पांच साल पहले निवेश शुरू किया था। हमने गोल्ड स्कीम में निवेश बरकरार रखा, क्योंकि उससे होने वाली आय से एजेंट की आजीविका चलती थी।’ खबर फैलते ही ठाणे के शोरूम के बाहर भी लोगों का जुटना शुरू हो गया। एक और निवेशक अनुया मिसाल ने कहा, ‘मैंने तीन लाख रुपये का निवेश किया था और स्वास्थ्य पर भविष्य में होने वाले खर्च के लिए बचत कर रहे थे।’
गुडविन ग्रुप का इन्वेस्टमेंट्स
गुडविन ग्रुप ने जूलरी, कंस्ट्रक्शन, सिक्यॉरिटी डिवाइसेज तथा आयात-निर्देश में निवेश कर रखा है। 1992 में इसने केरल में जूलरी बनाना शुरू किया और अगले तीन साल में यह जूलरी का होलसेल कारोबार करने लगा। साल 2004 में यह मुंबई के बाजार में उतरा।
इसकी शाखाएं
कंपनी की शाखाएं वाशी, ठाणे, डोंबिवली में दो, चेंबूर, वसई, अंबरनाथ, पुणे में तीन तथा केरल में हैं। इसने विदेश में भी शोरूम खोलने वाला था।
गुडविन के मालिक का परिवार
कंपनी के प्रमोटर्स केरल के त्रिशूर के रहने वाले हैं। सुनील कुमार तथा सुधीश कुमार मुंबई की एक बड़ी जूलरी शॉप को सोने की आपूर्तिकर्ता थे। दुकान के मालिक ने कहा कि उन्होंने उनसे 1998 में कारोबार शुरू किया था और 2002 में बंद कर दिया।
कंपनी की दो स्कीमें
1. पहली स्कीम में फिक्स्ड डिपॉजिट पर 16% इंट्रेस्ट की पेशकश की गई थी।
2. दूसरी स्कीम में डिपॉजिट के एक साल पूरे होने पर गोल्ड जूलरी देने की पेशकश की गई थी। कोई निवेशक एक साल के लिए एक महीने में चाहे कितनी भी रकम का निवेश कर सकता था। निवेशक अपनी रकम के बराबर गोल्ड ले सकता था या कैश चाहने वालों को 14 महीने के लिए इंतजार करना पड़ता था।
अपने पैसों के लिए बैंक चुनने से पहले बरतें ये सावधानी
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पीएमसी बैंक के लेन-देन पर आरबीआई द्वारा हस्तक्षेप के बाद खाताधारकों के मन में तमाम सवाल उठ रहे हैं। बैंक में पैसे जमा करने से लेकर अन्य तरह की सावधानी बरतनी हर निवेशक के लिए जरूरी है। हालांकि इन सावधानियों से पहले जानें पीएमसी का मौजूदा स्टेटस और उससे जुड़े कुछ जरूरी आंकड़े-
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देशभर में पीएमसी बैंक के कुल 137 ब्रांच हैं और इसका वर्किंग कैपिटल 13,313 रुपये हैं। वहीं इसका कुल रिजर्व 933 करोड़ रुपये है। पीएमसी शेड्यूल्ड बैंक है और दूसरे छोटे निजी बैंकों के मुकाबले उसकी साख अच्छी है, फिर भी इस पर ऐक्शन लिया गया। आगे की स्लाइड्स में जानें अगर आपने ऐसे किसी बैंक में पैसा जमा किया है तो आपके पास क्या विकल्प हैं।
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हालांकि अगर आपका बैंक दिवालिया घोषित हो गया है तो भी आपको परेशान होने की जरूरत नहीं। ऐसी स्थिति में खाताधारकों को अकाउंट से जुड़े इंश्योरेंस के जरिए अधिकतम एक लाख रुपये तक मिल सकते हैं। यानी, उनकी कुल बचत ज्यादा होने पर उसका एक हिस्सा उन्हें वापस मिलना तय है।
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जब भी किसी बैंक में खाता खुलवाएं तो आरबीआई की वेबसाइट पर यह जरूर जांच लें कि उस बैंक की वित्तीय स्थिति कैसी है। इसके अलावा कभी भी ज्यादा ब्याज देने वाले बैंकों के लालच में न पड़ें।पढ़ें- PMC बैंक: हर निवेशक परेशान, पैसे शिफ्ट करने लगे लोग
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एक ही बैंक में अपनी सारी जमापूंजी रखने से बचें। अगर आपका अकाउंट कॉपरेटिव बैंक में है तो किसी पब्लिक सेक्टर बैंक में भी अपना खाता जरूर खोलें।