क्रॉस वोटिंग के डेढ़ साल बाद तीन विधायक सपा से निष्कासित, क्या पंचायत चुनाव की रणनीति के तहत लिया गया फैसला?

क्रॉस वोटिंग के डेढ़ साल बाद तीन विधायक सपा से निष्कासित, क्या पंचायत चुनाव की रणनीति के तहत लिया गया फैसला?

लखनऊ। राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले तीन विधायकों पर डेढ़ साल बाद सपा ने कार्रवाई की है। ऊंचाहार विधायक मनोज कुमार पांडेय, गोसाईगंज विधायक अभय सिंह और गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

सोमवार को सपा के एक्स हैंडल पर इनके निष्कासन की जानकारी दी गई। हालांकि क्रॉस वोटिंग करने वाले अन्य चार विधायकों और राज्यसभा के मतदान में अनुपस्थित रहने वाली एक विधायक पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव की रणनीति के तहत यह फैसला किया गया है। फरवरी 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में 10 सीटों पर भाजपा ने आठ प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, जबकि सपा ने तीन प्रत्याशी लड़ाए थे।

इनके अलावा पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी विधायक महाराजी देवी मतदान से अनुपस्थित रही थीं। जिसके चलते सपा प्रत्याशी आलोक रंजन को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि भाजपा के आठवें प्रत्याशी संजय सेठ को विजय मिली थी।

इसके बाद लोकसभा चुनावों से लेकर अब तक मनोज कुमार पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह सहित अन्य कई विधायक भाजपा के समर्थन में नजर रहे थे।

सोमवार को सपा की ओर से एक्स पर लिखा गया कि सांप्रदायिक व ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण तीनों विधायकों को निष्कासित किया गया है। इनको हृदय परिवर्तन के लिए समय दिया गया था, अब उसकी सीमा समाप्त हो गई है। आगे भी पार्टी की विचारधारा के विरुद्ध काम करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

पार्टी ने यह भी साफ कर दिया है कि शेष पांच विधायकों के लिए पश्चाताप की समय सीमा अभी शेष है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार पंचायत चुनाव से पहले पार्टी अपने समर्थकों के बीच बागी विधायकों को लेकर स्थिति स्पष्ट करना चाहती है।

इसी कारण तीन पर कार्रवाई की गई है, शेष को एक तरह से माफी मिल गई है। इस माफी के सहारे पार्टी अंदरखाने अगड़ों ओर पीडीए के साथ का भी संदेश पहुंचाएगी।

विधायकों के लिए खुला रास्ता, जागी मंत्री पद की उम्मीद

सपा द्वारा निष्कासित किए जाने से तीनों विधायकों के लिए दूसरे दलों में जाने का रास्ता खुल गया है। विधायक मनोज कुमार पांडेय को सरकार में मंत्री पद मिलने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। वह पूर्व में मंत्री रहे हैं।

क्रॉस वोटिंग के बाद लोकसभा चुनाव में उनको भाजपा से टिकट मिलने की बहुत चर्चाएं चली थीं। गृहमंत्री अमित शाह उनके घर भी गए थे, जिसके बाद उन्होंने खुलकर भाजपा प्रत्याशी के लिए प्रचार किया था। अब अन्य दो विधायक भी इसी तरह की उम्मीद लगाए हैं।

निष्कासन पर यह बोले विधायक 

विधायक मनोज पांडेय ने सपा के बयान को हास्यास्पद बताया है। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी द्वारा भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के अपमान को सहन न कर पाने की वजह से मैं खुद ही 18 जून 2024 को गृहमंत्री अमित शाह जी की उपस्थिति में प्रभु राम का सम्मान करने वाली भाजपा में शामिल हो चुका था तो आखिर अब कैसे निष्कासन हुआ।

जब हिंदू देवी-देवताओं को गाली दी गई, रामायण की प्रतियां जलाई गईं, मैंने उन नेताओं का विरोध किया तो अखिलेश यादव द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसी कारण मैंने सपा को छोड़ने का निर्णय लिया था। सपा पीडीए की बात करती है और अपने परिवार का डेवलपमेंट करती है। सही मायनों में पीडीए का साथ भाजपा ने दिया है।

विधायक राकेश प्रताप सिंह ने कहा कि सपा के निर्णय का मैं स्वागत करता हूं। मैं सही बोलता हूं और सही बोलता रहूंगा। मेरे सत्य से बचने के लिए उन्होंने यह किया है। जब रामायण जलाई गई थी, मैं तभी सपा से बागी हो गया था।

मैंने सोच लिया था कि नेतागिरी रहे न रहे, विधायकी रहे न रहे, परंतु धर्म का अपमान नहीं सहूंगा। सपा में धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ की जाती है। मैं कभी उसके साथ काम नहीं करूंगा। हमेशा श्रीराम और राष्ट्र के साथ हूं। हमेशा सनातन, सनातनियों के साथ हूं।

विधायक अभय सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट कर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि डॉ. लोहिया रामायण मेले आयोजित करते थे और रामचरितमानस का सम्मान करते थे, लेकिन आज सपा उनकी पक्षधर बन गई है जो रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथ को जलाते हैं। पार्टी के अंदर मैंने विरोध किया पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

राम मंदिर निर्माण के बाद सभी समाजवादी पार्टी विधायकों को दर्शन पर रोक लगा दी गई। कहा गया, दर्शन न करना, यह पार्टी की गाइडलाइन है। अब अचानक पार्टी से निष्कासन कर दिया गया, वो भी बिना किसी कारण बताओ नोटिस के। क्योंकि नोटिस पर मैं उत्तर देता तो पार्टी का तथाकथित सेक्युलर चेहरा बेनकाब हो जाता।

भगवान राम और दल में मुझे चुनना था, मैंने भगवान राम को चुना। मैं अकेला नहीं हूं, सपा के अनेक विधायक आज भी भीतर से आहत हैं, लेकिन कुछ कारणों से अभी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। आज मैं पार्टी से अलग हो रहा हूं, लेकिन अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपनी आत्मा,और अपने आराध्य राम के साथ अडिग खड़ा हूं।


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