रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात के बाद बोले जयशंकर, “भारत नहीं, चीन है रूस का सबसे बड़ा तेल खरीददार”

मॉस्कोः विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपनी मॉस्को यात्रा के तीसरे दिन रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। इस दौरान भारत-रूस के द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को नया आयाम देने की दिशा में वार्ता हुई। यह मुलाकात मास्को में हुई। इससे एक दिन पहले जयशंकर ने रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री मंतुरोव से भी अहम मुलाकात की थी। इस दौरान जयशंकर ने संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीददार नहीं है, बल्कि वह चीन है।
“चीन है रूस का सबसे बड़ा तेल खरीददार”
डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “हम रूस के सबसे बड़े तेल खरीदार नहीं हैं, वह चीन है। हम सबसे बड़े एलएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) खरीदार भी नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है। 2022 के बाद रूस के साथ सबसे ज्यादा व्यापार वृद्धि वाला देश भी हम नहीं हैं; मुझे लगता है कि कुछ देश दक्षिण में हैं। हम वह देश हैं, जहां अमेरिकी पिछले कुछ वर्षों से कह रहे हैं कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। वैसे, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और उसकी मात्रा बढ़ी है। इसलिए, ईमानदारी से कहूं तो हमें वह तर्क समझ नहीं आ रहा है, जिसका आप (मीडिया) ने उल्लेख किया था।…”
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी हुई चर्चा
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “…क्षेत्रीय मुद्दों पर हमने यूक्रेन, पश्चिम एशिया, मध्य पूर्व और अफगानिस्तान में विकास पर चर्चा की। भारत का दृष्टिकोण लगातार इस बात पर ज़ोर देता है कि मतभेदों को सुलझाने के लिए संवाद और कूटनीति आवश्यक हैं।”
जयशंकर ने बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों को किया इंगित
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “आज की बैठक हमें हमारे राजनीतिक संबंधों और द्विपक्षीय साझेदारी पर चर्चा का अवसर देती है। हम अब वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं। हमारे नेताओं ने हमेशा हमें हमारे विशेष रणनीतिक संबंध को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन दिया है। हमने द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की और कई समाधान भी पाए।
मैं चाहता हूं कि हम द्विपक्षीय वार्ता को आगे बढ़ाएं ताकि जब वार्षिक शिखर सम्मेलन हो, तो अधिकतम परिणाम हासिल किए जा सकें। हमारी बैठक की वैश्विक पृष्ठभूमि बदलती भू-राजनीतिक स्थिति, आर्थिक व व्यापारिक परिदृश्य में हो रहे बदलाव और हमारी साझा प्राथमिकता — एक-दूसरे की क्षमताओं का अधिकतम लाभ उठाना है।”
लावरोव ने कहा बहुध्रुवीय व्यवस्था होगी फलदायी
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, “…यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों की एक बहुध्रुवीय व्यवस्था है, जिसमें शंघाई सहयोग संगठन (SCO), ब्रिक्स (BRICS) और जी20 (G20) की भूमिका लगातार बढ़ रही है… मुझे उम्मीद है कि आज की बातचीत फलदायी होगी।…”