चीन के धोखे के बाद भारत ने तीनों सेनाओं को किया अलर्ट, अरुणाचल से लद्दाख तक LAC पर भेजे गए अतिरिक्त सैनिक

- चीन की धोखेबाजी पर भारत ने उससे निपटने की रणनीति बदल दी है
- भारत ने अपनी सेना के तीनों अंगों को अलर्ट करते हुए मुंहतोड़ जवाब देने की छूट दे दी है
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन का नाम लिए बिना बेहद कड़े शब्दों में संदेश दिया
- वहीं विदेश मंत्री स्तर की बातचीत में चीन की साजिश की बात खुले तौर पर कही गई
नई दिल्ली
भारत ने अब चीन से निपटने के नियम बदल दिए हैं। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में हुई हाई लेवल मीटिंग में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए यह बात कही। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की धोखेबाजी से सोमवार को 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद भारत ने चीन के प्रति बेहद कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है जिसकी झलक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान में भी दिखी। इसके साथ ही, भारत ने सेना के तीनों अंगों का अलर्ट लेवल बढ़ाते हुए उन्हें भविष्य में चीन के आक्रामक व्यवहार से कठोर तरीके से निपटने की छूट दे दी है।
थल, जल, वायु- सभी सेनाएं अलर्ट
भारत ने चीन के साथ लगी करीब 3,500 किमी की सीमा के पास अग्रिम मोर्चों पर तैनात थल सेना और वायु सेना को अलर्ट कर दिया है। वहीं, नौसेना को भी हिंद महासागर क्षेत्र में अलर्ट लेवल बढ़ाने को कहा गया है, जहां चीन की नौसेना लगातार दिखती रहती है। सूत्रों के मुताबिक, तीनों सेनाओं का अलर्ट लेवल बढ़ाने का फैसला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और तीनों सेना प्रमुखों के बीच हुई हाई लेवल मीटिंग में लिया गया। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘अब से चीन से निपटने के नियम बिल्कुल अलग होंगे।’ इसी के तहत, अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों को खुली छूट दे दी गई है कि अगर चीनी सैनिक आक्रामकता दिखाए तो उसे तुरंत कठोरतम जवाब दिया जाए।
LAC से सटे मिलिट्री बेस पर बढ़े सैनिक
भारत पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में खूनी झड़प के तुरंत बाद अपने अग्रिम मोर्चों के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियां भेज चुका है। सूत्रों ने बताया कि इंडियन नेवी हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती बढ़ा रही है ताकि चाइनीज नेवी को कड़ा संदेश पहुंच सके। ध्यान रहे कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार को चीनी सैनिकों ने धोखे से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया। इस घटना में कर्नल संतोष बाबू समेत भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने भी हमले का करारा जवाब दिया जिसमें चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मारे गए सैनिकों की संख्या करीब दोगुनी बताई जा रही है।
रक्षा मंत्री की प्रधानमंत्री से मुलाकात
बहरहाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। वह मोदी से मुलाकात के लिए 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास गए और सीडीएस एवं सेना प्रमुखों के साथ मीटिंग की जानकारी दी।
प्रधानमंत्री मोदी का चीन को सख्त संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को कोरोना पर आगे की रणनीति तय करने के लिए मुख्यमंत्रियों की बुलाई गई वर्चुअल मीटिंग में चीन का नाम लिए बिना कड़ा संदेश दिया। उन्होंने देश को विश्वास दिलाया कि 20 सैनिकों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ‘अपनी अखंडता और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा और पूरी दृढ़ता से देश की एक-एक इंच जमीन और देश के स्वाभिमान की रक्षा करेगा।’ उन्होंने शहीदों के परिजनों के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, ‘आज पूरा देश आपके साथ है, देश की भावनाएं आपके साथ हैं। हमारे इन शहीदों का ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।’ प्रधानमंत्री ने भारत-चीन सीमा स्थिति पर चर्चा करने के लिए 19 जून को एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है।
बातचीत का दौर जारी, लेकिन बेनतीजा
उधर, भारत-चीन के बीच बातचीत का दौर भी जारी है। हालांकि, दोनों देशों के प्रमुख जनरलों के बीच बुधवार को जारी बातचीत बेनतीजा रही। सूत्रों ने कहा कि किसी तरह के जमीनी बदलाव और मतभेद के न होने के कारण बातचीत का कोई नतीजा निकल कर नहीं आया। आने वाले दिनों में और अधिक वार्ताएं होंगी।
विदेश मंंत्रियों की बातचीत में भारत की खरी-खरी
गलवान में चीनी सैनिकों की धोखेबाजी और बर्बरता पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीनी समकक्ष वांग यी से फोन पर बात हुई। इस बातचीत में जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि गलवान घाटी के पैट्रोलिंग पॉइंट- 14 पर सोमवार को जो कुछ हुआ, वह अनायास नहीं था। जयशंकर ने वांग से कहा, ‘चीनी पक्ष ने पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की जो हिंसा और जवानों के हताहत होने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थी। इनमें यथास्थिति को नहीं बदलने के हमारे सभी समझौतों का उल्लंघन करते हुए जमीन पर तथ्यों को बदलने की मंशा नजर आती है।’
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LAC पर चीन के साथ बढ़ते संघर्ष के मद्देनजर केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों को पूरी तरह से तैयार रहने के लिए कहा है। इकोनॉमिक टाइम्स को मिली जानकारी के मुताबिक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने तीनों सेनाओं को तालमेल बिठाने और जरूरत के मुताबिक प्राथमिकताएं तय करने के निर्देश दिए हैं। इसी के मद्देनजर नौसेना को चीन से मुकाबले के लिए मलक्का स्ट्रेट के पास, या फिर जरुरत के मुताबिक काउंटर के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में कहीं भी तैनाती को लेकर आगे बढ़ने के निर्देश दिए गए हैं। नौसेना ने युद्धपोत और जहाजों के साथ समुद्री सीमाओं पर अपनी पैनी नजर बना ली है।
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नेवी के साथ-साथ वायु सेना ने भी जरूरी कदम उठाए हैं। चीन सीमा पर गंभीर स्थिति को देखते हुए फाइटर प्लेन की तैनाती को और आगे बढ़ाया गया है। वहीं सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना ने भी अपने जवानों की छुट्टियां कैंसिल कर दी है। केंद्र सरकार ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तीनों सेनाओं को हथियारों की खरीद करने की छूट दी है। लद्दाख में चल रहे विवाद को पीछे छोड़ने के लिए भारत ने बातचीत की पेशकश की थी लेकिन सूत्रों के मुताबिक, सोमवार रात हुई हिंसा के बाद सरकार इसमें कोई ढिलाई नहीं बरतना चाहती है। यही वजह है कि चीन को लेकर सरकार ने नई रणनीति तैयार की है।
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लद्दाख में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उकसाए जाने पर भारत की ओर से जवाब जरूर दिया जाएगा। पीएम मोदी ने साफ कहा कि भारत शांतिपूर्ण देश है। इतिहास भी इस बात का गवाह है कि हमने विश्व में शांति फैलाई। पड़ोसियों के साथ दोस्ताना तरीके से काम किया। मतभेद हुए भी तो कोशिश की है कि विवाद न हो। हम कभी किसी को भी उकसाते नहीं हैं लेकिन अपने देश की अखंडता के साथ समझौता भी नहीं करते।
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इस बातचीत में दोनों पक्षों ने खूनी संघर्ष से पैदा हुई गंभीर परिस्थिति से पार पाने के लिए मिलिट्री कमांडरों के बीच हुई बातचीत में बनी सहमति के मुताबिक आगे का रास्ता तय करने पर हामी भरी। ध्यान रहे कि सोमवार को हुई खूनी झड़प में कर्नल संतोष बाबू समेत भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए। वहीं, चीन के 43 सैनिकों को मारे जाने की खबर आ रही है। यह हालत तब रही जब भारतीय सैनिकों के मुकाबले चीनी सैनिकों की संख्या पांच गुना थी।