प्रयागराज। महानंदा एक्सप्रेस से गुरुवार को प्रयागराज जंक्शन पर उतारे गए थे 21 नाबालिग समेत 33 बच्चों के मामले में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। रिपोर्ट में बच्चों की काउंसलिंग के बाद मिली जानकारी का उल्लेख हुआ है। साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि बच्चों को गलत तरीके से ले जाया जा रहा था। रिपोर्ट में मौलवी, एजेंट व ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति है। करीब 36 घंटे की जिद्दोजहद के बाद शुक्रवार की देर रात आरपीएफ प्रभारी की तहरीर पर जीआरपी थाना प्रयागराज में मुकदमा दर्ज किया गया।
महानंदा एक्सप्रेस से बंगाल, बिहार के 33 बच्चों को ले जाया जा रहा था : बंगाल व बिहार से 33 बच्चों को महानंदा एक्सप्रेस से ले जाया जा रहा था। प्रयागराज जंक्शन पर रेस्क्यू कर सभी बच्चों को उतारा गया। मौके पर बाल कल्याण समिति के पहुंचने के बाद बच्चों की काउंसलिंग शुरू हुई तो कुछ चौंकाने वाले भी तथ्य सामने आए। बच्चे साथ रहे मौलवी व एजेंट के बारे में कुछ भी नहीं बता पा रहे थे और न ही मौलवी समेत अन्य संतोषजनक जवाब दे सके। रात में बच्चों को बाल संरक्षणगृह ले जाया गया। शुक्रवार को पूरा दिन बच्चों की काउंसलिंग का क्रम जारी रहा । शाम लगभग चार बजे सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष अखिलेश मिश्र ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी सौंप दी। उन्होंने बताया कि बच्चों का स्कूल से नाम कटवाकर मदरसा ले जाया जा रहा था। स्थिति संदिग्ध है, अब आगे कार्रवाई जीआरपी करेगी।
रिपोर्ट की प्रमुख बातें
– बच्चों को गलत तरीके से ले जाया जा रहा था।
– मौलाना समेत एजेंट व ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
– जो बच्चे मदरसा में पढ़ने जा रहे थे, उन्हें सरकारी स्कूल से निकालकर ले जाया जा रहा था।
– गांव में बच्चों को ट्रेन में भेजने वाला एजेंट पहले ही फतेहपुर के मदरसे में रह चुका हैं।
36 घंटे तक माथापच्ची : गुरुवार की दोपहर ही सभी बच्चों को जंक्शन पर उतार लिया गया था। इसके बाद कार्रवाई के लिए पूरा दिन और पूरी रात माथापच्ची चलती रही, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। गुरुवार की रात में आरपीएफ की ओर से तहरीर देकर मुकदमा लिखवाने की पुष्टि हुई लेकिन, बात नहीं बनी और पूरी रात रणनीति और कानूनी उलझन में मुकदमा दर्ज नहीं हो सका। यही क्रम शुक्रवार की सुबह शुरू हुआ, हर घंटे आरपीएफ, सीडब्ल्यूसी और जीआरपी के बीच खींचतान चलती रही और मुकदमा दर्ज नहीं हो सका। इंतजार किया जाता रहा कि सीडब्ल्यूसी की ओर से ही मामले में कार्रवाई के लिए तहरीर दी जाएगी, लेकिन सीडब्ल्यूसी की ओर से सीधे अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को दी गई, जिसके बाद फिर से वादी बनने की जिम्मा आरपीएफ के कंधे पर आ गया।
परिजनों को सुपुर्द होंगे बच्चे : सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में बच्चों को उनके परिजनों को सुपुर्द करने को कहा गया है। बाल संरक्षण गृह बच्चों के परिजनों से संपर्क साध रहा है। परिजनों के आने बाद सुपुर्दगीनामा लिखवाकर बच्चों को उनके माता-पिता के साथ भेजा जाएगा। हांलाकि शुक्रवार देर रात तक बच्चों के परिजन प्रयागराज नहीं पहुंच सके थे।
सूचना तो मानव तस्करी की थी : सूचना मानव तस्करी की थी। रेस्क्यू भी उसी तरीके हुआ। पूछताछ में नतीजे भी उसी ओर इशारा करते रहे। सीडब्ल्यूसी की काउंसलिंग में भी बच्चों ने चौंकाने वाली बातें बताई। बच्चों को गलत ढंग से ले जाने की पुष्टि भी हुई। मामला सीधा नहीं है, पूरी तरह से संदिग्ध है और रिपोर्ट में भी इसका जिक्र हुआ लेकिन, अधिकारी इस मामले में कुछ भी साफ साफ कहने से बचते रहे। सीडब्ल्यूसी, आरपीएफ, जीआरपी में लगातार इसकी खींचतान मची रही। अपने अपने तर्क से एक दूसरे से ठनी रही लेकिन, निष्कर्ष अब जांच पर ही निर्भर करेगा।कोरोना काल में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, उस समय भी जंक्शन पर रेस्क्यू कर बच्चों को उतारा गया था और उस मामले में कार्रवाई हुई थी।