प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट में सहायक प्रोफेसर की भर्ती को लेकर जारी विज्ञापन की वैधता को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने सचिव उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग (यूपीएचईएससी) प्रयागराज से पूछा है कि जब राज्य सरकार ने पर्यावरण विज्ञान में नेट क्वालीफाई करने वालों को जीव विज्ञान विषय में सहायक प्रोफेसर पद पर चयन करने का निर्देश जारी किया है तो किन परिस्थितियों में 15 फरवरी 2021 को जारी भर्ती विज्ञापन में पर्यावरण साइंस को शामिल नहीं किया गया है?

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने विक्रम गौरव सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता चंदन शर्मा व अभिषेक तिवारी ने बहस की। याची अधिवक्ता का कहना था कि कोर्ट ने मनीष कुमार सोनकर केस में राज्य सरकार को निर्णय लेने का निर्देश दिया था। सरकार ने पर्यावरण साइंस को जीव विज्ञान का अंत: संबद्ध विषय मानते हुए चयन में शामिल करने का आदेश दिया है। इसके बावजूद नए विज्ञापन में पुरानी गलती दोहराते हुए चयन में पर्यावरण साइंस को शामिल नहीं किया गया। याचीगण ने पर्यावरण साइंस से नेट क्वालीफाई किया है। इन्हें भी आवेदन देने की अनुमति दिए जाने की मांग की गई है। मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती का विज्ञापन 15 फरवरी 2021 को जारी किया था। राज्य के ऐडेड कॉलेजों में विभिन्न विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसर की कुल 2003 रिक्तियों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने आधिकारिक रूप से सूचना जारी कर की थी। आयोग की 15 फरवरी 2021 को जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 47 विषयों में सहायक आचार्य के रिक्त 2002 पदों भू-गर्भ विज्ञान के 1 सहायक आचार्य पदों के लिए विज्ञापन संख्या 50 जारी की गयी थी। यूपीएचईएससी द्वारा विज्ञापित कुल 2003 असिस्टेंट प्रोफेसर की रिक्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 25 फरवरी से शुरू की गई थी।