महाराष्ट्र और मराठी हितों के लिए किसी के साथ भी गठबंधन को तैयार: आदित्य ठाकरे

महाराष्ट्र और मराठी हितों के लिए किसी के साथ भी गठबंधन को तैयार: आदित्य ठाकरे

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावनाएं एक बार फिर तेज हो गई हैं। शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने रविवार को बड़ा बयान देते हुए कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र और मराठी लोगों के हित में काम करने वाले किसी भी व्यक्ति या पार्टी के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। यह बयान ऐसे समय आया है जब उनके पिता उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के संभावित मेल-मिलाप की अटकलें तेज हैं।

आदित्य ठाकरे ने स्पष्ट कहा, “हम बार-बार यही कहते आ रहे हैं कि जो भी महाराष्ट्र और मराठी भाषी लोगों के पक्ष में काम करना चाहता है, हम उसके साथ काम करने को तैयार हैं।” उन्होंने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भाजपा मुंबई और महाराष्ट्र को “निगलने” की कोशिश कर रही है और राज्य के साथ लगातार अन्याय कर रही है।

क्या फिर एक होंगे ठाकरे बंधु?

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पहले ही कह चुके हैं कि “महाराष्ट्र के दिल में जो है, वही होगा।” वहीं राज ठाकरे ने भी संकेत दिया था कि अगर मराठी समाज के हित में एकजुट होना पड़े, तो यह असंभव नहीं है। हालांकि उद्धव ने यह भी साफ किया है कि सुलह की कोई भी प्रक्रिया तभी संभव है जब “तुच्छ मुद्दों” को दरकिनार कर दिया जाए और जो महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ हैं, उन्हें नकार दिया जाए।

आदित्य ने जोर देकर कहा, “हमारी जिम्मेदारी बदलाव लाने की है। जो पार्टी महाराष्ट्र के हितों की रक्षा करना चाहती है, उसे साथ आकर लड़ना चाहिए।”

करीब दो दशक पहले वैचारिक और राजनीतिक मतभेदों के चलते अलग हुए दोनों चचेरे भाइयों के हालिया बयानों से यह चर्चा फिर गर्म हो गई है कि क्या शिवसेना (यूबीटी) और मनसे एक बार फिर साथ आ सकते हैं।

जमीनी समीक्षा में जुटे उद्धव ठाकरे

रविवार को उद्धव ठाकरे ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर जमीनी हालात की समीक्षा की। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे लोगों से सीधे संपर्क करें और उनकी समस्याओं को प्रमुखता से उठाएं। उन्होंने जोर दिया कि जनता से जुड़ाव बनाए रखने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम और समारोहों का आयोजन हो।

गठबंधन पर बोले अमित ठाकरे

मनसे नेता अमित ठाकरे ने भी संभावित गठबंधन पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह के अहम फैसले सार्वजनिक मंचों पर नहीं, बल्कि सीधी बातचीत से तय होने चाहिए। अमित ने कहा, “इस विषय पर केवल दोनों भाइयों को ही बात करनी चाहिए। हमारी टिप्पणियों से कुछ नहीं बदलेगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि 2014 और 2017 में भी ऐसे प्रयास हुए थे, जो सफल नहीं हो पाए।

हालांकि उन्होंने साफ किया कि यदि दोनों दल फिर से साथ आते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। पार्टी कार्यकर्ताओं में भी यह भावना बढ़ रही है कि दोनों दलों को मराठी जनहित में एकजुट होना चाहिए।


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