असम: भारत जापान सहयोग वार्ता की थीम है एक्ट ईस्ट पॉलिसी- विदेश मंत्री एस जयशंकर

असम: भारत जापान सहयोग वार्ता की थीम है एक्ट ईस्ट पॉलिसी- विदेश मंत्री एस जयशंकर

गुवाहाटी । विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को असम में हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत-जापान पार्टनरशिप स्वाभाविक है और भारत के विकास व आधुनिकीकरण के प्रयासों में इसकी अहम भूमिका है। गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘केंद्र राज्य के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी से राज्य के विकास में अंतर देखने को मिलेगा। मैंने और जापान के राजदूत ने असम में कई परियोजनाओं पर चर्चा की है और आने वाले समय में इसपर काम भी होगा।’

विदेश मंत्री ने आगे कहा, ‘कलादान मल्टीमाॅॅडल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट म्यांमार के बहुत जटिल हिस्से में है। उसमें बहुत सी चुनौतियां हैं। कुछ हिस्से प्रगति पर हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ समय से सित्तवे बंदरगाह का परिचालन चालू है। नौ परिवहन थोड़ा मुश्किल है। रोड बिल्डिंग बढ़ानी है जो देरी का कारण है।’ विदेश मंंत्री ने कहा, ‘असम बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रहा है। राज्य के लिए कनेक्टिविटी की चुनौती सबसे बड़ी है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी से असम ज़्यादा कनेक्टेड होगा, ज़्यादा ऊर्जावान होगा, ज़्यादा योगदान कर पाएगा और ज़्यादा रोजगार मिलेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘भारत और असम के विकास के लिए भारत-जापान साझेदारी वास्तव में एक बदलाव ला सकती है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी और भारत जापान सहयोग बातचीत का थीम हैं। दुनिया पिछले दो दशकों में बहुत तेजी से बदली है। खासकर एशिया में नए उत्पादन, उपभोग, संसाधन और बाजार उभर रहे हैं।’

आज सुबह विदेश मंत्री असम के गुवाहाटी (Guwahati) स्थित कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) पहुंचे। उनके साथ हिमंत बिस्व शर्मा भी मौजूद रहे। आज राज्य में होने वाले विभिन्न् कार्यक्रमों में विदेश मंत्री शामिल होंगे। इस सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा नेता अमित शाह ने असम का दौरा किया था। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 7 फरवरी को राज्य में विभिन्न विकास की परियोजनाओं को लॉन्च किया।

बता दें कि असम में आगामी अप्रैल-मई तक विधानसभा चुनाव होने की प्रबल संभावना है। अभी इसके लिए तारीखों की घोषणा नहीं की गई है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि राज्य की एक बड़ी आबादी का ऐसा मानना है कि CAA की वजह से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी हिन्दू शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान की जाएगी। इससे पहले असम में CAA को लेकर काफी विरोध-प्रदर्शन हो चुके हैं।