राहुल गांधी को लेकर आचार्य प्रमोद कृष्णम का विवादित का बयान, बोले- ‘वो बदतमीजों के…’
कांग्रेस से पूर्व नेता और आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं. उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विवादित बयान देते हुए उन्हें ‘बदतमीजों का बादशाह’बताया है. इसके अलावा आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और हिंदू धर्म पर दिए अपने बयानों से भी नई बहस छेड़ दी है.
आचार्य प्रमोद कृष्णम के ये बयान कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला माना जा रहा है. राहुल गांधी और आरएसएस पर उनके तीखे शब्दों से यह साफ है कि वह अब खुलकर बोलने लगे हैं. उनके इन बयानों से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है.
राहुल गांधी का बुनियादी संस्कार ही गलत है- आचार्य प्रमोद कृष्णम
असम विधानसभा उपाध्यक्ष नुमल मोमिन के बयान पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राहुल गांधी किसी का सम्मान नहीं करते न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का, न आरएसएस का और न ही संविधान का. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का बुनियादी संस्कार ही गलत है. उनकी भाषा, बोलचाल और आचरण सबमें बदतमीजी झलकती है. वह हमेशा बेहूदा बातें करते हैं और किसी का आदर नहीं करते है. उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी के संस्कारों में समस्या है, इसलिए वो दूसरों का सम्मान नहीं करना जानते। वह तो बदतमीजों के बादशाह हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र के प्रति समर्पित- आचार्य
आरएसएस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र के प्रति समर्पित संगठन है. यह तपस्वियों और पराक्रमी लोगों का समूह है, जिनका हर पल राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित है. जो व्यक्ति आरएसएस को गाली देता है, वह राष्ट्रभक्त नहीं हो सकता है. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आज कांग्रेस के अंदर राष्ट्रविरोधियों की जमात इकट्ठा हो गई है जो राष्ट्रप्रेमी संगठनों पर सवाल उठाने का पाप कर रही है.
स्वर्ग केवल हिंदूओं को ही मिलेगा- आचार्य
अपने एक अन्य बयान में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू होना गर्व का विषय है. स्वर्ग में स्थान केवल हिंदुओं को ही मिलेगा. हिंदू धर्म के बिना किसी को परलोक में जगह नहीं मिलेगी. उनके इस बयान ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है. कई लोगों ने इसे कट्टर और भेदभावपूर्ण करार दिया है, वहीं कुछ समर्थकों ने इसे हिंदू गौरव की बात बताई.
