आचार्य देवव्रत बोले- ग्लोबल वार्मिंग के लिए रासायनिक खेती से ज्यादा जैविक खेती जिम्मेदार

आचार्य देवव्रत बोले- ग्लोबल वार्मिंग के लिए रासायनिक खेती से ज्यादा जैविक खेती जिम्मेदार
  • लखनऊ में इस कार्यक्रम का आयोजन दो सत्र में हुआ। उद्घाटन सत्र में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत प्राकृतिक खेती के आध्यात्मिक एवं सैद्धान्तिक पहलुओं पर व्याख्यान द‍िया। इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोध‍ित क‍िया

लखनऊ। कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक विधा पर जोर देने के क्रम में अब गौ-आधारित कृषि को भी जोड़ा जा रहा है। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान गोमती नगर में शनिवार को गौ-आधारित कृषि कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए जैविक खेती सबसे ज्यादा जिम्मेदार : आचार्य देवव्रत

गौ आधारित प्राकृतिक खेती की राज्य स्तरीय कार्यशाला में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ बताए। राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में शनिवार से शुरू हुई कार्यशाला में आचार्य ने कहा कि रासायनिक खेती का विकल्प सिर्फ प्राकृतिक खेती है। अच्छी बात है कि उत्तर प्रदेश में किसानों का रुझान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि किसानों के मन में संदेह रहता है कि प्राकृतिक खेती से उनका उत्पादन घट जाएगा, जबकि वह अपने खेतों में इसका प्रयोग कर धरती की सेहत के साथ उत्पादन भी बढ़ा चुके हैं। राज्यपाल ने कहा कि पिछले 20-25 वर्ष से सरकारें प्रयास कर रही हैं, लेकिन जैविक खेती का आजतक कोई सफल मॉडल नहीं मिला है। आचार्य ने दावा किया कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए रासायनिक खेती से ज्यादा जैविक खेती जिम्मेदार है।

प्राकृतिक खेती का अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरू किया

आचार्य देवव्रत की बात को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का जो अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरू किया है, वह भारत की आस्था और धरती माता को बचाने का अभियान है। उन्होंने कहा कि यूरोप में औद्योगिक क्रांति के बाद जब हम परतंत्र हुए तो भारत की परंपरा पर भी प्रहार हुआ। वहीं से पराभव शुरू हुआ। हमारे देश ने खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता को भले ही प्राप्त किया हो, लेकिन इसके दुष्परिणाम से नहीं बच पाए।

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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बढ़ती बीमारियों के लिए वही हरित क्रांति कारण है। अब इससे बचने के दो ही माध्यम हैं, भारतीय नस्ल का गोवंश और प्राकृतिक खेती के माध्यम से धरती माता की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना। इस दिशा में सरकार के विभिन्न प्रयासों और लक्ष्यों को साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया कि वह प्राकृतिक खेती करें। वैसे तो नुकसान की कोई गुंजाइश ही नहीं है, फिर भी यदि नुकसान होता है तो सरकार मदद के लिए तैयार है।

प्राकृतिक खेती के लिए पांच किसान सम्मानित

राज्यस्तरीय कार्यशाला में प्राकृतिक खेती करने वाले पांच उत्कृष्ट किसानों को सम्मानित किया गया। इनमें आजमगढ़ के फूलपुर से महेंद्र सिंह, मुरादाबाद के छजलैट से रमेश आर्य, शमसाबाद से हिमांशु गंगवार, रायबरेली के बछरांवा से सत्यप्रकाश मिश्रा और फतेहपुर के मलवां से रमाकांत त्रिपाठी थे। कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण, उद्यान राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख और ग्राम्य विकास राज्यमंत्री विजयलक्ष्मी गौतम भी शामिल हुईं।