चंडीगढ़। लखीमपुर खीरी की घटना में मारे गए चार किसानों को चन्नी सरकार की ओर से 50-50 लाख रुपए देने का मामला पंजाब में राजनीतिक रंगत लेता जा रहा है। दरअसल, इस समय मालवा की कपास पट्टी गुलाबी सुंडी के हमले से बुरी तरह प्रभावित हो रही है। पिछले कुछ समय से किसान उसके मुआवजे को लेकर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल के घर को घेरे बैठे हैं। फसल बर्बाद होने के कारण आधा दर्जन किसानों ने पिछले एक हफ्ते में आत्महत्या कर ली है। साथ ही, तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं आंदोलन में बैठे कई किसानो की मौत हो चुकी है। उन्हें सरकार ने 5-5 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए हैं। उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 50-50 लाख रुपये की घोषणा कर दी जो राजनीतिक पार्टियों को भा नहीं रही है।

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के विधायक और प्रदेश किसान विंग के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि जिला मानसा के गांव घद्दूवाला के किसान दर्शन सिंह को कपास की फसल बर्बाद होने और कर्ज का भार सहन नहीं होने पर जहर पीने को मजबूर होना पड़ा। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार को किसान और खेत मजदूरों की कोई परवारह नहीं है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी ड्रामेबाजी से बढ़कर कुछ नहीं कर रहे। गुलाबी सूंडी से प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बावजूद कांग्रेस सरकार ने अभी तक कोई राहत नहीं दी है।

कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ओर से उत्तर प्रदेश के शहीद किसानों को दी गई 50-50 लाख रुपये की आर्थिक मदद अच्छा कदम है। चन्नी सरकार यह भी बताए कि पंजाब के किसानों के लिए क्या किया जा रहा है? किसान आंदोलन के दौरान सात सौ से अधिक किसान शहीद हुए हैं लेकिन चन्नी सरकार उनके लिए कुछ क्यों नहीं कर रही? उन्होंने कहा कि आज भी पंजाब के किसान कर्ज के भार के नीचे दबे हैं। वर्ष 2017 में कांग्रेस पार्टी ने किसान और मजदूरों का हर प्रकार का कर्ज माफ करने का वादा किया था। बादल सरकार की तरह आज भी कपास के खराब बीज और खराब कीटनाशक दवाइयां किसानों को दी गईं। इसी कारण कपास की तैयार फसल गुलाबी सूंडी से बर्बाद हो गई।

संधवां ने आरोप लगाया कि चन्नी सरकार ने किसानों को न ही कपास की बर्बाद फसल का कोई मुआवजा दिया और न ही पूरी तरह कर्ज माफ किया। यदि सरकार ने किसानों का पूरा कर्ज माफ किया होता और फसलों के अच्छे बीज और बेहतर कीटनाशक दवाइयां दी होती तो दर्शन सिंह समेत दर्जनों अन्य किसान और खेत मजदूर मौत को गले नहीं लगाते। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने प्रदेश में चल रहे माफिया राज पर नकेल कसी होती और गलत बिजली समझौते रद किए होते तो किसान-मजदूरों के मामूली कर्ज माफ करने के लिए सरकार को कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती

कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार किसानों की सच्ची हमदर्द है तो तुरंत उनका कर्ज माफ करे। पंजाब के शहीद किसानों को भी यूपी की तरह 50-50 लाख रुपये की आर्थिक मदद दे और गुलाबी सूंडी से बर्बाद हुई कपास की फसल का प्रति एकड़ कम से कम 50 हजार से एक लाख रुपये का मुआवजा तुरंत जारी करे।