शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार श्रृंखला का आयोजन

गंगोह [24CN] : शोभित विश्वविद्यालय गंगोह एवं हरिजन सेवक संघ के सयुंक्त तत्वाधान में 3 जुलाई 2021 को एक सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार श्रृंखला “आधुनिक युग में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता – सामाजिक सद्भाव: एक समृद्ध और सांस्कृतिक राष्ट्र के लिए एक आवश्यक शर्त“ का आयोजन किया गया। हरिजन सेवक संघ वह संगठन है जिसकी स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1932 में की थी तब इसके अध्यक्ष् श्री गहन घनश्याम दास जी बिड़ला थे। यह वेबिनार प्रत्येक शनिवार को आयोजित की जाएगी। इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य आधुनिक पीढ़ी को विशेषता युवा पीढ़ी को गाँधी जी के दर्शन, उनकी विचारधारा, उनके जीवन मूल्यों, सत्य के प्रति उनकी निष्ठा से अवगत करना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षयता करते हुए शोभित यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने कहा की शोभित यूनिवर्सिटी गंगोह और हरिजन सेवक संघ (1932 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित) द्वारा आयोजित “आधुनिक युग में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता – सामाजिक सद्भाव: एक समृद्ध और सांस्कृतिक राष्ट्र के लिए एक आवश्यक शर्त” पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता करना एक सम्मान की बात थी। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा की आज महात्मा गाँधी के विचारों एवं जीवन मूल्यों की नितांत आवश्यकता है। उनके बताये गए आदर्शों का अनुकरण हमारे समस्त जीवन में एक व्यापक परिवर्तन ला सकता बशर्ते हम उमके आचरण एवं जीवन मूल्यों को सच्ची निष्ठां एवं लगन से आत्मसात करे।
वेबिनार की सयुंक्त रूप से अध्यक्षता कर रहे हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष डॉ. शंकर सान्याल जी ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा की आज संपूर्ण विश्व बाज़ारवाद के दौड़ में शामिल हो चुका है। लालच की परिणति युद्ध की सीमा तक चली जाती है। ऐसे में गांधीवाद की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक हो जाती है। तो क्या गांधीवाद को अपनाने के लिये हमें टोपी या धोती पहनने की जरूरत है या फिर ब्रह्मचर्य अपनाने या फिर घृणा करने की आवश्यकता है? नहीं, इनमें से कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि घृणा को दूर करने के लिये गांधीवाद को अपनाने की जरूरत है। डॉ. शंकर सान्याल जी ने वेबिनार के मुख्या अतिथि का औपचारिक परिचय भी दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता महात्मा गांधी जी के पांचवें पोते, डॉ अरुण मणिलाल गांधी, एक सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, लेखक, परोपकारी, और एमके गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ अहिंसा, यूएसए के संस्थापक अध्यक्ष थे। उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा की महात्मा गांधी ने कहा था: “यदि हम जानते हैं कि हम एक दूसरे के खिलाफ कितनी निष्क्रिय हिंसा करते हैं, तो हम समझेंगे कि समाज और दुनिया में इतनी शारीरिक हिंसा क्यों है।”
हिंसा की इस संस्कृति ने मानव जीवन के हर पहलू पर कब्जा कर लिया है – भाषा, खेल, मनोरंजन, व्यवसाय, रिश्ते, शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, आदि। यह संस्कृतियों और राष्ट्रों के बीच हमारे संबंधों में अनुवादित है। नतीजा यह है कि विज्ञान और जागरूकता की बढ़ती मात्रा के बावजूद दुनिया और उसके संसाधनों के साथ क्या होता है, इस बारे में कोई भी और कोई भी देश परवाह नहीं करता है, जो हर चीज के साथ हर चीज की परस्परता को उजागर करता है।
शिक्षा व्यक्तिगत परिवर्तनों को चिंगारी दे सकती है, लोगों के दृष्टिकोण को व्यापक बना सकती है, हमें वास्तव में समझना सिखा सकती है और इसलिए एक-दूसरे की संस्कृतियों का सम्मान कर सकती है। एक दूसरे की सहनशीलता पर्याप्त नहीं है; स्वीकृति और प्रशंसा की आवश्यकता है।
वेबिनार के अंत में शोभित यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफ. (डॉ.) रंजीत सिंह ने अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि डॉ. अरुण कुमार गाँधी का धन्यवाद किया की उन्होंने न्यूयोर्क में रहते हुए भी कार्यक्रम को सम्बोधित करने के लिए समय निकला। उन्होंने हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष डॉ. शंकर सान्याल जी का भी धन्यवाद किया क्यूंकि उनके सहयोग के बिना यह वेबिनार आयोजित करना संभव नहीं था। उन्होंने शोभित यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी का भी धन्यवाद किया क्यूंकि उनकी प्रेरणा एवं उत्साहवर्धन के बिना यह संभव नहीं था।