मददगार बीट कॉन्स्टेबल के नाम पर गर्भवती महिला ने बेटे का नाम रखा दयावीर

मददगार बीट कॉन्स्टेबल के नाम पर गर्भवती महिला ने बेटे का नाम रखा दयावीर

 

  • दिल्‍ली के वजीजपुरा इलाके में पुलिस ने एक गर्भवती महिला को अस्‍पताल पहुंचाने में मदद की
  • महिला ने अपने बेटे का नाम मदद करने वाले बीट कॉन्‍स्‍टेबल दयावीर के नाम पर रख दिया
  • दयावीर जब महिला के घर पहुंचे थे तो वह और उसकी सास मदद की आस खो चुकी थीं
  • महिला ने कहा कि दयावीर उनकी मदद के लिए नहीं आते तो बच्चे की जान खतरे में पड़ जाती

न ई दिल्‍ली
लॉकडाउन में दिल्ली पुलिस लोगों की हर तरह से मदद कर रही है। लॉकडाउन लागू होने के बाद से लेकर अब तक पीसीआर और लोकल पुलिस की गाड़ियां कई गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचा चुकी हैं। एक महिला ने तो पुलिस की गाड़ी में ही बच्चे को जन्म दे दिया था। अब नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली से अशोक विहार इलाके से ऐसा ही एक और मामला सामने आया है, जहां पुलिस की मदद से अस्पताल पहुंची एक महिला ने बेटे को जन्म देने के बाद उसका नाम उस पुलिसवाले के नाम पर ही रख दिया, जिसने उन्हें अस्पताल पहुंचाया था।

अशोक विहार थाने के तहत आने वाले वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया के बी ब्लॉक में परिवार के साथ रहने वाली अनूपा (28) गर्भवती थीं। गुरुवार की सुबह उन्हें लेबर पेन होने लगा। परिजन उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलाना चाहते थे, लेकिन 102 नंबर पर कई बार कॉल करने के बाद भी काफी देर तक कोई मदद नहीं मिली। उसी दौरान सुबह 7:15 बजे के आसपास एक पड़ोसी ने एसएचओ आरती शर्मा और बीट कॉन्स्टेबल दयावीर को फोन करके मदद मांगी। एसएचओ ने फौरन गाड़ी लेकर दयावीर को मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया।

‘गर्भवती और सास फूट-फूटकर रो रहे थे’
दयावीर ने बताया कि जब वह महिला के घर पहुंचे, तो वह और उसकी सास फूट-फूटकर रो रहे थे। उन्हें लग रहा था कि शायद अब उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाएगी। लेकिन जैसे ही वह वहां पहुंचे, तो उनकी जान में जान आई। इसके बाद उन्होंने फौरन अनूपा के पति विक्रम और उनकी सास की मदद से अनूपा को जिप्सी में लिटाया और बाड़ा हिंदूराव हॉस्पिटल पहुंचे। अनूपा को भर्ती करने के बाद वह वहां से चले गए। जिस पड़ोसी ने सुबह उन्हें कॉल किया था, उसी ने शाम को उन्हें फोन करके बताया कि अनूपा ने बेटे को जन्म दिया है और परिजनों ने बच्चे का नाम उनके नाम पर रखने का फैसला किया है।

भावुक हो गए बीट कॉन्स्टेबल दयावीर
दयावीर ने बताया कि पहले तो उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन शुक्रवार को जब वह महिला का हालचाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे, तो पता चला कि उन्होंने अपने बेटे का नाम उनके नाम पर ही रखा है। ऐसे मे वह भावुक हुए बिना नहीं रह सके। महिला के पति और सास का कहना था कि अगर दयावीर समय पर उनकी मदद के लिए नहीं आते, तो मां और बच्चे की जान खतरे में पड़ जाती। दयावीर ने ही उनकी जान बचाई है, इसलिए हमने उन्हीं के नाम पर बच्चे का नाम रखने का फैसला किया। महिला के पति ने बताया कि हमने यह भी तय किया था कि अगर बेटी हुई, तो उसका नाम एसएचओ आरती मैम के नाम पर रखेंगे।

शुक्रवार को जब महिला को डिस्चार्ज करने का समय आया, तो दयावीर एक बार फिर उनकी मदद के लिए मौजूद थे। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वही पुलिस की गाड़ी में मां-बेटे को सकुशल उनके घर छोड़कर आए। एसएचओ आरती शर्मा और कॉन्स्टेबल दयावीर सिंह के इस सराहनीय काम की डीसीपी (नॉर्थ-वेस्ट) विजयंता आर्य ने भी जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें अपने इन साथी पुलिसकर्मियों पर गर्व है, जिन्होंने इंसानियत की नई मिसाल पेश की।

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दिल्ली: AIIMS में नर्स कोरोना पॉज़िटिव, 35 स्वास्थ्य अधिकारियों को सेल्फ़ क्वॉरंटीन होने का निर्देशदिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिवीजन में काम करने वाले 35 से अधिक डॉक्टरों और नर्सों को गुरुवार को सेल्फ़ क्वॉरंटीन होने के लिए कह दिया गया। ऐसा AIIMS में उनके साथ काम करने वाली एक नर्स को कोरोना पॉज़िटिव पाए जाने के बाद किया गया। इस नर्स ने जिन रोगियों की देख भाल की थी, उनका भी परीक्षण किया गया है और उनके परिणामों की प्रतीक्षा की जा रही है। अधिकारी नर्स के संपर्क में आए हर व्यक्ति, डॉक्टर, नर्स और रोगी को ढूंढ रहे हैं और उन्हें सेल्फ़ क्वॉरंटीन में रहने का निर्देश दे रहे हैं।

एक महीने से घर नहीं जा पाए हैं दयावीर
पिछले डेढ़ साल से अशोक विहार थाने में तैनात कॉन्स्टेबल दयावीर सिंह वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया के बी ब्लॉक के बीट इंचार्ज हैं। मूलरूप से हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रहने वाले दयावीर थाने की बैरक में ही रहते हैं। कोरोना के चलते पिछले एक महीने से वह अपने घर भी नहीं जा पाए हैं, जबकि उनकी पत्नी, दो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य गांव में ही रह रहे हैं।