कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सेना के 8,500 डॉक्टर और सपोर्ट स्टाफ तैयार

कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने के लिए सशस्त्र बलों के 9,000 बेड वाले अस्पताल तैयार हैं। इसके साथ ही 8,500 डॉक्टर और सपोर्ट स्टाफ को भी तैयार रखा गया है ताकि नागरिक प्रशासन को आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके। ऐसा तब किया गया है जब पिछले तीन दिनों से सैन्य विमानों ने देश भर में लगभग 25 टन चिकित्सा आपूर्ति की है।
सेना विभिन्न संगठनों को पहले ही 1.5 लाख लीटर सैनिटाइजर मुहैया करा चुकी है। इसके अलावा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) भी नैनो तकनीक के जरिए पांच परतों वाले एन-99 फेस मास्क और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का युद्धस्तर पर निर्माण कर रहा है।
बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ-साथ डीआरडीओ, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों और आयुध निर्माण बोर्ड द्वारा निकासी, चिकित्सा देखभाल, क्वारंटाइन सुविधाओं और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन के बारे में जानकारी ली।
उन्होंने सभी से कहा कि वह अपने कार्यों को दोगुना कर दें और कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के राष्ट्रीय प्रयास में अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करें। डीआरडीओ अध्यक्ष डॉक्टर जी सतीश रेड्डी ने कहा कि उनके संगठन ने पहले ही 10,000 एन-99 मास्क बना लिए हैं और जल्द ही उनका दैनिक उत्पादन 20,000 तक बढ़ा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘डीआरडीओ ने दिल्ली पुलिस को 40,000 अन्य फेस मास्क उपलब्ध कराए हैं। डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला रोजाना 20,000 पीपीई बनाने की भी व्यवस्था कर रही है। हम वेंटिलेटर में मामूली संशोधन करने की कोशिशों में लगे हुए हैं ताकि एक मशीन एक ही समय में चार रोगियों के काम आ सके।’
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने मंत्री को बताया कि 9,000 बेड वाले 28 सैन्य अस्पतालों को विशेष रूप से कोविड-19 के सैन्य और नागरिक रोगियों का इलाज करने के लिए तैयार हैं। इटली, ईरान और मलेशिया जैसे देशों से निकाले गए 1,000 से अधिक लोगों को जैसलमेर, जोधपुर, चेन्नई, मानेसर, हिंडन और मुंबई में स्थित सैन्य स्थल में एकांतवास में रखा गया है। इन सभी की क्वारंटाइन (एकांतवास) अवधि सात अप्रैल को खत्म हो जाएगी।
नौसेना अध्यक्ष करमबीर सिंह ने कहा कि नागरिक प्रशासन की सहायता करने के लिए युद्धपोतों को स्टैंडबाय पर रखा गया है। वहीं वायुसेना ने अपना सहयोग देते हुए दिल्ली, सूरत और चंडीगढ़ से मणिपुर, नगालैंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख तक लगभग 25 टन आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की है।