7/11 मुंबई लोकल ट्रेन धमाका मामला.

हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में भी कानूनी लड़ाई लड़ेगी जमीयत
देवबंद। मुंबई लोकल ट्रेन धमाका मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार की अपील सुनवाई के लिए स्वीकार की है। इस पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत 19 साल बाद जेल से बाहर आए बेकसूर लोगों को पुन: जेल नहीं जाने देगी। पूरी ताकत के साथ सुप्रीम कोर्ट में भी कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।
मौलाना अरशद मदनी की ओर से बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा गया कि जेल से बाहर आए युवकों को कुछ ही दिनों की राहत मिली थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी, ताकि उन्हें फिर से जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा सके। जबकि बॉम्बे हाईकोर्ट अपने फैसले में यह स्पष्ट कर चुकी है कि युवकों को झूठे मामले में फंसाया गया था। मौलाना मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की अपील के बाद रिहाई पाने वाले उनके परिवार वालों ने जमीयत से फिर मदद की गुहार लगाई है। मामले में जमीयत की कानूनी समिति पूरी ताकत के साथ सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेगी। उन्होंने कहा कि जमीयत पर लोगों का भरोसा ही उन्हें केस लड़ने की ताकत देता है।
यह था मामला
21 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। जिससे उन 12 मुस्लिम युवकों को 19 साल बाद न्याय मिला। इसमें मुंबई लोकल ट्रेन धमाके के आरोप में निचली अदालत ने सात युवकों को उम्रकैद और पांच को फांसी की सजा सुनाई थी। अब फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।