वाराणसी: श्रमिक स्‍पेशल ट्रेन में लौटे 4 प्रवासी मजदूरों की मौत से मचा हड़कंप

वाराणसी: श्रमिक स्‍पेशल ट्रेन में लौटे 4 प्रवासी मजदूरों की मौत से मचा हड़कंप

 

  • मुंबई से वाराणसी पहुंची श्रमिक स्‍पेशल में दो युवकों की मौत हो गई
  • दो दिन से सफर कर रहे दोनों मजदूरों को एक ही बोगी में मृत अवस्था में पाया गया
  • जांच के लिए सैंपल लिए गए, शव पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए
  • एक शव की पहचान हो गई है, वही दूसरे शव की शिनाख्त अभी तक पुलिस नहीं कर सकी है

 वाराणसी
अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को सरकार स्पेशल ट्रेन के जरिये वापस लाने में तो जुटी हुई है, लेकिन इन रेलगाड़ियों में प्रवासी श्रमिकों की मौत का सिलसिला जारी है। बुधवार को मुंबई से वाराणसी पहुंची श्रमिक स्‍पेशल में दो युवकों की मौत हो गई। वहीं इससे पहले मंगलवार की देर रात गुजरात और महाराष्‍ट्र से बिहार जा रही दो ट्रेनों में दो लोगों की मौत हो गई थी। वाराणसी कंट्रोल रूप की सूचना पर दोनों का बलिया स्टेशन पर उतारा गया था।

मुंबई से बुधवार को बनारस पहुंची श्रमिक स्‍पेशल की एक बोगी में दो युवकों का शव मिलने से हड़कंप मच गया। कोरोना से मौत की चर्चा के कारण काफी देर तक अफरातफरी की स्थिति रही। मृत दिव्‍यांग दशरथ (30) जौनपुर के बदलापुर का रहने वाला था। वह अपने भाई लालमणि प्रजा‍पति के साथ मुंबई पैसे कमाने के लिए गया था। भाई के साथ घर वापसी के दौरान भीषण गर्मी व भूख-प्‍यास के चलते प्रयागराज में उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। ट्रेन के मंडुआडीह स्‍टेशन पहुंचने पर भाई ने दशरथ को जगाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं उठा।

दूसरे शख्स की नहीं हो सकी पहचान
जिस बोगी में दशरथ का शव मिला उसी में एक और युवक का शव दूसरी बर्थ पर मिला। उसकी पहचान नहीं हो सकी है। उसके शरीर पर क्रीम कलर का हाफ पैंट और चेकदार शर्ट है। प्रवासी श्रमिकों की मौत की सूचना मिलने पर रेलवे के अधिकारियों के साथ जीआरपी व स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम मौके पर पहुंची। बीएचयू से आए अस्‍पतालकर्मियों ने पीपीई किट पहनकर दोनों शवों को बोगी से निकाल कर पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेजा। पोस्‍टमॉर्टम से पहले इनकी कोरोना की जांच होगी।

नहीं थम रहा मौत का सिलसिला
इससे पहले मंगलवार की देर रात दरभंगा (बिहार) जा रही श्रमिक स्‍पेशल से यात्रा कर रहे नेपाल के शोभरन कुमार (28) की हालत बिगड़ने पर यात्रियों ने इसकी सूचना पूर्वोत्तर रेलवे के वारणसी कंट्रोल रूम को दी। ट्रेन के बलिया पहुंचने पर डॉक्‍टरों ने मरीज की हालत नाजुक देख उसे ट्रेन से उतारकर उसके दो साथियों के साथ एम्‍बुलेंस से जिला अस्‍पताल पहुंचाया। इलाज के दौरान रात करीब दो बजे उसकी मौत हो गई। उधर, सूरत (गुजरात) से हाजीपुर (बिहार) जा रही श्रमिक स्‍पेशल में भी छपरा के रहने वाले 58 वर्षीय भूषण सिंह की मौत हो गई। भूषण के शव को बलिया रेलवे स्‍टेशन पर उतार पोस्‍टमार्टम के लिए भेजा गया है।

सरकार का दावा, लॉकडाउन के कारण भारत में कोरोना से मौत के मामले हुए कम

सरकार का दावा, लॉकडाउन के कारण भारत में कोरोना से मौत के मामले हुए कमकेंद्र सरकार ने कहा कि भारत में समय रहते लॉकजाउन कर दिये जाने के कारण कोरोना से होने वाली मृत्यु दर कम है। जो कि विश्व का 2.87 प्रतिशत ही है। सरकार ने आगे कहा है कि समय रहते लॉकडाउन, बीमारी की पहचान, और कोरोना के मामलों को सही प्रबंधन होने के कारण इससे होने वाली मौतें कम हुईं। आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल ने कहा, ‘हमने आश्चर्यजनक रूप से पाया कि भारत में मृत्यु दर कम है, जो कि अच्छी बात है।हमारा लक्ष्य यह था कि मरीज़ बच जायें चाहे उन्हें कोरोना हो या न हो। इसके लिये कई तरह की सिद्धांत चल रहे हैं जिनमें हम बहुत स्वच्छ नहीं रहते, हमारी इम्यूनिटी ज्यादा है और बीसीजी तथा टीबी के टीके लगे हैं लेकिन यह सब चर्चा में हैं फिलहाल ठोस तौर पर कह नहीं सकते कि इसके कारण क्या थे।’