चिराग पासवान पर फूटा नीतीश बम; LJP को बड़ा झटका, पार्टी छोड़ JDU में शामिल हुए 208 नेता
पटना । बिहार की सियासत में गुरुवार का दिन बेहद अहम है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में रहते हुए जनता दल यूनाइटेड को जोर का झटका देने वाली लोक जनशक्ति पार्टी में आज बड़ी बगावत हुई। चिराग पासवान पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सियासी बम फूटा। हम बात कर रहे हैं एलजेपी के 18 जिलाध्यक्षों व पांच प्रदेश महासचिवों सहित 208 नेताओं के जेडीयू में शामिल होने की। इसके लिए जेडीयू के पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में मिलन समारोह आयोजित किया गया। इसके पहले जनवरी में भी एलजेपी में एक और बड़ी बगावत हो चुकी है। तब पार्टी के 27 नेताओं ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया था।
बिहार के सियासी इतिहास की सबसे बड़ी बगाव
बिहार के सियासी इतिहास में अबतक की सबसे बड़ी बगावत गुरुवार को हुई। इसमें एलजेपी के के 18 जिलाध्यक्ष व पांच प्रदेश महासचिव समेत कुल 208 नेता जेडीयू में शामिल हो गए। पटना स्थित प्रदेश जेडीयू कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने सभी पार्टी में शामिल कराया। इस अवसर पर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, महेश्वर हजारी और गुलाम रसूल बलियावी आदि कई बड़े नेता मौजूद थे।
एलजेपी में टूट के सूत्रधार बने पूर्व प्रवक्ता केशव सिंह
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद से एलजेपी में भगदड़ का दौर चल रहा है। कई नेता पार्टी छोड़ कर अन्य दलों में जा चुके हैं। बुधवार को भी विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी छोड़ एलजेपी में शामिल हुए रामेश्वर चौरसिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। ऐसी छिटपुट भगदड़ के बीच बड़ी बगावत का बड़ा दौर भी चल रहा है। एलजेपी में आज की बड़ी टूट का सूत्रधार बागी निष्कासित नेता व पूर्व प्रवक्ता केशव सिंह को माना जा रहा है। उन्होंने ही सबसे पहले पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान के प्रति नाराजगी जताते हुए एलजेपी में टूट का दावा किया था।
एलजेपी के कुल 208 नेता जेडीयू में हुए शामिल
गुरुवार को प्रदेश जेडीयू कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में एलजेपी के जो बागी नेता जेडीयू में शामिल हुए, उनमें केशव सिंह, दीनानाथ गांधी, रामनाथ रमन और पारसनाथ गुप्ता शामिल हैं। जेडीयू में गए 208 नेताओं में जिलाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव, प्रकोष्ठों के अध्यक्ष व सचिव आदि स्तर के नेता हैं।
बागियों ने पार्टी सुप्रीमो पर लगाए ठगी के आरोप
सवाल यह है कि एलजेपी में इस बगावत के कारण क्या हैं? बड़ा कारण तो पार्टी का सत्ता से दूर हो जाना है। ऐसे में सत्ता की चाहत व महत्वाकांक्षा के साथ पार्टी में आने वाले नेता बाहर का रास्ता पकड़ रहे हैं। हालांकि, पार्टी के बागी केशव सिंह इससे इत्तफाक नहीं रखते। वे कहते हैं कि चिराग पासवान ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को ठगा, जिससे वे आहत हैं। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान ने 94 विधानसभा क्षेत्रों में फरवरी 2019 में 25 हजार सदस्य बनाने वालों को ही विधानसभा चुनाव का टिकट देने की घोषणा की थी। इस एवज में बड़ी राशि वसूली गई। लेकिन जब चुनाव आया तो पैसे लेकर बाहरी लोगों को टिकट दे दिए। केशव सिंह कहते हैं कि चिराग ने चुनाव के दौरान राष्ट्रीय जनता दल व महागठबंधन की दलाली की तथा पार्टी के साथ-साथ एनडीए को भी क्षति पहुंचाया। केशव सिंह कहते हैं कि चिराग पासवान की करतूतों से आहत नेता व कार्यकर्ता न केवल पार्टी छोड़ रहे हैं, बल्कि चिराग पासवान पर धोखाधड़ी का मुकदमा भी करने जा रहे हैं। चिराग कहते थे कि वे नीतीश कुमार को जेल भेजेंगे, लेकिन अब खुद चिराग ही जेल जाएंगे।
राम विलास पासवान की मौत पर खड़े किए सवाल
जेडीयू में शामिल होने के बाद एलजेपी के प्रदेश महासचिव रहे रामनाथ रमन ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन पर सवाल खड़े किए। कहा कि उनकी जान ली गई थी। उन्हें दो महीने तक अस्पताल में क्यों कैद रखा गया, इसकी जांच होनी चाहिए। अगर इसकी जांच हो तो चिराग पासवान जेल में होंगे।
फिलहाल असंतोष को दबाने में लगे चिराग पासवान
चिराग पासवान को इस टूट से बड़ा आघात लगा है। वे पार्टी में असंतोष को दबाने के लिए हर एहतियाती कदम उठाते रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उन्होंने पांच दिसंबर को पार्टी की प्रदेश कार्य समिति, सभी प्रकोष्ठों एवं जिला इकाईयों को भंग कर दिया था। करीब ढ़ाई महीने बाद तक नई टीम नहीं बनाई गई है। माना जा रहा है कि यह कदम दलगत असंतोष को दबाने तथा पार्टी को टूट से बचाने के लिए उठाया गया है। चिराग अभी स्थितियों को देख-समझ रहे हैं। वे किसी विश्वासपात्र नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल कहते हैं कि बिहार एलजेपी की नई टीम और सभी जिलाध्यक्षों की घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी। एलजेपी चिराग पासवान के नेतृत्व में मजबूती से खड़ी है।