मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी कांग्रेस, SC के 17 जिला और 4 नगर अध्यक्ष किया नियुक
यूपी डेस्क: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में तीन दशकों से हासिये पर चली रही कांग्रेस एक बार फिर मुस्लिम-दलित वोटों के सहारे अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में लग गई है। गौरतलब है कि मुस्लिम-दलित वोट बैंक के सहारे कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में लम्बे समय तक राज किया था, लेकिन जबसे मुस्लिमों ने समाजवादी पार्टी और दलितों ने बसपा का दामन थामा तबसे कांग्रेस को यहां कोई पूछने वाला नहीं रहा। इसी वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने यूपी कांग्रेस में अनुसूचित जाति विभाग में पदाधिकारियों की बड़ी संख्या में तैनाती की है। यूपी कांग्रेस ने अनुसूचित विभाग के 17 जिला अध्यक्ष और 4 नगर अध्यक्षों की नियुक्ति की है।
डॉ. कफील के कांग्रेस में जाने की लग रही अटकलें
मथुरा जेल से रिहा होने के बाद डॉ. कफील उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के साथ कांग्रेस शासित राजस्थान चले गए। डॉ. की रिहाई के बाद प्रियंका गांधी ने उनसे बात भी की थी। कफील खान ने कहा कि प्रियंका गांधी ने उन्हें राजस्थान आने के लिए कहा था। इतना ही नहीं कफील ने रिहाई में मदद के लिए प्रियंका गांधी की तारीफ भी की थी।
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद से है प्रियंका की नजदीकियां
भीम आर्मी के संस्थापक व युवा दलित चेहरा बनकर उभरे चंद्रशेखर आजाद से भी प्रियंका गांधी की नजदीकियां हैं। पहली बार जेल से छूटने के बाद प्रियंका गांधी उनसे मिलने अस्पताल भी पहुंची थीं। हालांकि चंद्रशेखर आजाद ने किसी भी पार्टी से रिश्ते की बाद अस्वीकार की है। बीते दिनों उन्होंने अपनी खुद की पार्टी ‘आजाद समाज पार्टी’ का ऐलान भी कर दिया। इस दौरान चंद्रशेखर विधानसभा चुनाव लडऩे की भी घोषणा कर चुके हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव के बाद क्या होता है?
सपा-बसपा में गठबंधन में शामिल होना चाहती थी कांग्रेस
दरअसल, लोकसभा चुनाव के समय जब सपा-बसपा में गठबंधन हुआ था, तो उस गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होना चाह रही थी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव इसके लिए तैयार भी हो गए थे, परंतु मायावती की हठधर्मी के चलते यह संभव नहीं हो पाया था। कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी और उसे बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस का प्रियंका कार्ड (जिसे पार्टी अपना ट्रम्प कार्ड कहती थी) पूरी तरह से विफल हो गया था। कांग्रेस की सीटें दो से एक पर सिमट गई थी। सिर्फ सोनिया गांधी रायबरेली से जीत पाईं थी, राहुल गांधी तक को अमेठी गंवाना पड़ गया था। इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद से ही बसपा सुप्रीमो मायावती, कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा की आंख की किरकिरी बनी हुई हैं।