कोरोना के 149 नए केस आए सामने, अब तक 873 पहुंचा आंकड़ा: स्वास्थ्य मंत्रालय
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- कोरोना वायरस के अब तक सामने आए 873 केस
- CGHS मरीजों को दी जा रही तीन महीने की दवा: स्वास्थ्य मंत्रालय
- एम्स में कोरोना के लिए बनाया गया एक केंद्र, डॉक्टरों को दी जा रही ऑनलाइन ट्रेनिंग
- दिहाड़ी मजदूरों के लिए रिलीफ कैंप की व्यवस्था करने के लिए कहा गया: गृह मंत्रालय
नई दिल्ली
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन का किया गया है। बावजूद इसके इस खतरनाक वायरस के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार से अब तक कोरोना के 149 नए केस सामने आए हैं, इनमें दो लोगों की मौत हुई है। देशभर में अब तक कोरोना के 873 केस सामने आ चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी लव कुमार ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग में लगातार जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) मरीजों को तीन महीने की दवा दी जा रही है। एम्स में कोरोना के लिए एक केंद्र बनाया गया है। डॉक्टरों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है।
‘ये लड़ाई हम सबकी, इसमें सभी सहयोग करें’
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव कुमार ने कहा कि कोरोना के खिलाफ ये लड़ाई हम सबकी है, आप सभी इसमें सहयोग करें। दुनियाभर से सामने आई रिपोर्ट में पाया गया है कि इस वायरस से सबसे ज्यादा जोखिम बुजुर्गों को है। कोरोना के मद्देनजर देशभर में लॉकडाउन पर गृह मंत्रालय लगातार नजर रख रहा है। लगातार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से बातचीत चल रही है। दिहाड़ी मजदूरों के लिए रिलीफ कैंप की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था करने की बात भी राज्यों से कही गई है।
गृहमंत्रालय लॉकडाउन पर कर रहा निगरानी
गृहमंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मजदूरों तक जरूरी सुविधा मुहैया कराए जाने की जानकारी पहुंचाए जाने के लिए भी कहा गया है। मजदूरों के रहने-खाने की व्यवस्था के लिए कहा गया है। राज्यों से आपदा प्रबंधन फंड के इस्तेमाल का निर्देश दिया है। लॉकडाउन में सभी जरूरी सामान को पहुंचाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
निजी लैब में अब तक 400 लोगों का हुआ टेस्ट: ICMR
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया कि सरकार लगातार इस खतरनाक वायरस पर लगाम के लिए जरूरी कदम उठा रही है। कोशिश यही है कि किसी भी मरीज को कोई परेशानी नहीं हो। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डॉ. रमन आर गंगाखेडकर ने बताया कि 400 लोगों का अब तक निजी प्रयोगशालाओं में टेस्ट किया जा चुका है।