100 साल पुरानी वैक्सीन ने जगाई उम्मीदें, कोरोना को रोकने में हो सकता है गेमचेंजर?

100 साल पुरानी वैक्सीन ने जगाई उम्मीदें, कोरोना को रोकने में हो सकता है गेमचेंजर?

नई दिल्ली: कोरोना वायरस को रोकने की दवा या वैक्सीन के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक जोर लगाए हुए हैं। अभी तक कई तरह की दवाओं से कोरोना के इलाज के दावे किए गए हैं, लेकिन कोई भी दवा कारगर नहीं रही है। इसी बीच टीबी की बीमारी को रोकने के लिए दिए जाने वाले बीसीजी के टीके को लेकर संभावनाएं जगी हैं। अमेरिका के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि इससे इम्युनिटी बढ़ती है। इस वजह से कोरोना से लड़ने में मदद मिलती है। इस पद्धति में स्वस्थ्य व्यक्ति के प्लाज्मा से बीमार का इलाज किया जाता है।

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एक अध्ययन के अनुसार, जिन देशों में लोगों को यह टीका लगा हुआ है, वहां कोरोना के कारण मृत्युदर बाकी देशों के मुकाबले 6 गुना कम है। इस सूची में भारत भी शामिल है, जहां आज भी बड़े पैमाने पर नवजातों को बीसीजी का टीका लगाया जाता है।

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100 साल पहले खोजा गया था बीसीजी का टीका
बेसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (BCG) वैक्सीन का अविष्कार लगभग 100 साल पहले किया गया था। यह वैक्सीन ट्यूबरकुलोसिस या टीबी (तपेदिक) के बैक्टीरिया के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करता है। कई शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि बीसीजी का टीका लगवाने के बाद लोगों के प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) में सुधार देखा गया है। यही नहीं, इन लोगों ने खुद को कई संक्रमणों से बचाया भी है।

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अमेरिका में किए गए एक परीक्षण के अनुसार, बीसीजी टीकाकरण के 60 साल के बाद तक अधिकतर लोगों में टीबी का बैक्टीरिया नहीं प्रवेश कर सका। यह टीका कई अन्य संक्रामक रोगों के खिलाफ भी मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।


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